Tuesday, June 3, 2025

मक़ाम

ख़्वाबीदा से उस मक़ाम को पा गए 

पर उम्मीदें हम से मुसलसल बनी रहीं 

संग-तराशी खुद की इस इंतहा तक की हमने 

कि मुस्कान इस बुत की अब हमसे मिलती नहीं 

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