कुछ घर देखे हैं जहाँ ,
प्यास हमेशा प्यासी ,
भूख हमेशा भूखी
और तन पर पड़े कपड़े ,
अंतर्मन की नग्नता उघाड़ते हुए से लगते हैं ।
सब कुछ तो है उन घरों में
खूबसूरत ,
करीने से लगा हुआ,
चमकदार ,
बेशकीमती |
सुना है , कुछ चूल्हों से आग छीनकर ,
और ऊपर वाले का दिया ज़मीर बेचकर,
इकठ्ठा किया है उन्होंने ये असला ।
हिसाब थोड़ा टेढ़ा है ,
......पता नहीं सौदा महँगा पड़ा या सस्ता ।