Saturday, December 2, 2023

दिसंबर की सुबहें

 




दिसंबर की सुबहें फ़ुरसत के गुज़रे लम्हों को याद कर 

ऐ काश की लम्बी साँस खींच दुबक जाती हैं एक बार फिर रजाई खींच कर 

ये मुआ अलार्म बार बार  बज बज कर याद दिलाता है 

वीकडे है आज 

सो जाना जी भर कर वीकेंड पर 

प्रॉमिस इस बार वीकेंड पर नहीं बजूँगा 

और रजाई गुनगुनी सी झप्पी दे, कानों में फुसफुसाती है कि दिसम्बर की सुबहों को नींद बड़ी मीठी आती है,

बजने दो मुए अलार्म को, इसका तो काम ही बजना है 

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