कोई दौड़ कहता है
कोई खोज कहता है
ज़िंदगी एक तमाशा है
जो रोज़ होता है
टूटी है तो जोड़ के रखो
बिखरी है तो जमा के रखो
ज़िंदगी एक तमाशा है
इसे सजा के रखो
जो छूट गया पीछे
उसकी याद बसा के रखो
ज़िंदगी एक तमाशा है
नए तमाशबीनों को मुस्कुरा के देखो
जो पुराना हो चला
उसको लीप- पोत कर चमकाते चलो
ज़िंदगी एक तमाशा है
इसमें चेहरे नए लगाते चलो
कभी शहद मीठे, कभी नीम कड़वे
सुनो कभी, सुनाते कभी रहो
ज़िंदगी एक तमाशा है
जुबां खंजर को धार लगाते रहो
आधे खाली पैमाने को
आधा भरा ही कहो
ज़िंदगी एक तमाशा है
जश्न इसका रोज़ मनाते रहो
ना कल में जीओ
ना कल के लिए जीओ
ज़िंदगी एक तमाशा है
बाज़ी आज की आज लगाते रहो
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