Wednesday, July 4, 2012

प्रिय ! प्रेम पदावली हमारी

हरी मिर्च सी तीखी ,
शक्कर- पारे सी मीठी ,
आँखों से नींदों की चोरी सी ,
अनगिन रागों वाली लोरी सी ,
दूरदर्शन के चित्रहार सी ,
चिर नवल  उपहार सी ,
जाड़े के ज़ुकाम सी ,
कमर दर्द में बाम सी ,
सर्कस के उन्मत्त  मंचन सी ,
सरल मधुर जीवन-दर्शन सी,
डार्विन के सिद्धांत सी,
उन्मादी कभी शाँत सी ,
सुबह की चाय के उबाल सी ,
मधु -सरिता की सतत चाल सी ,
कुम्हार की साँची कृति सी ,
मेघों की सरल अभिव्यक्ति सी ,
वर्षा की रिमझिम फुहार सी ,
 अनुपम अमूल्य अधिकार सी,


ओ प्रिय ! 

ये प्रेम पदावली हमारी कभी मूक -शब्दों के द्वन्द सी   ,कभी कविता के  मुक्त छंद सी ....
                         मिलकर लिखते रहें हम .. सदा -सदा |
      
            .... थोड़ी खट्टी  ज़्यादा   मीठी चाशनी की छठी वर्षगाँठ पर   
               ....   ये चाशनी घुलती रहे सदा-सदा

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