Sunday, May 23, 2010

प्रिय पाती !


तुम जा रही हो ,उनके पास ,
प्रिय पाती !
बताना ,उनको वो बातें ,जो मैं नही बताती

बताना, कैसे शब्दों को पिरोया है मैंने, भावों में,
वाक्य-रचना नहीं मुझे आती

बताना, कैसे अभ्यास नहीं, मुझे लिखने का ,
इसलिए शब्दों को रही घुमाती

बताना, कैसे मेरी उँगलियाँ चलती रही ,रात भर,
उनके एह्सास से ,मेरी सारी थकन रही जाती

बताना, कैसे स्वप्न देते रहे दस्तक ,
और मैं उन्हें , मीठी झिङकी दे सुलाती

बताना, कैसे दीवार घङी ,घन्टे रही बजाती,
रात खत्म हुई, इससे पहले कि मैं लिखना बन्द कर पाती

बताना, कैसे मैंने ,तुम्हे डराया समझाया
नहीं तो, तुम सबसे मेरी चुगली कर जाती

बताना, कैसे मेरे अधरों ने, तुम्हे छू लिया ,
इससे पहले कि मैं तुम्हे लिफाफे मेँ डाल पाती

बताना, कैसे लिखने को कितना कुछ याद आता रहा रात भर,
इससे पहले कि सुबह हो और तुम डाक-बक्सें में जा पाती

बताना, बहुत कुछ बचा है, अभी कहने को,
काश! तुम उन्हें सब समझा पाती

तुम जा रही हो, उनके पास ,
प्रिय पाती !
बताना, उनको वो बातें ,जो मैं नही बताती

1 comment:

pawan dhiman said...

बहुत खूब... सदैव की तरह..