फुलकारी
Wednesday, November 11, 2009
कितनी बार मायूसी को दरवाज़े तक छोड़ आयी , कमबख्त जाने कहाँ से फिर आ जाती है, लगता है गाडी की पिछली सीट पर डाल कर, दूर छोड़ आना होगा, वापस आते हुए , आगे की सीट पर अल्हड हवा को बिठा लाऊंगी , शायद मेरे घर चहलकदमी करे तो मायूसी फिर ना आये
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