Thursday, April 2, 2020

 खुद से मिलने के लिए महफ़िल सजाइये,
अब  तो भूले बिसरे इस  शहर में भी जाइये
कुछ सुने मन की, कुछ अपनी फरमाइये
दिल खोल के इस  बिछड़े दोस्त से अब बतियाइये
चाहे चुपचाप मुस्कुराइए, चाहे शर्माइये
आईने को ठेंगा दिखा, चाहे बाल बिखराइये
तारीख और दिन का हिसाब किताब भूल जाइये
सोमवार को शनिवार का थ्रो बैक बताइये
अधूरी पेंटिंग को पूरा करने के लिए ब्रश चलाइये
कुछ नया लिखने के लिए कलम उठाइये
फेड हुई पर उस ख़ास टी- शर्ट को पहन नोस्टालजिक हो जाइये
या फिर एकदम चमक कर और चमका कर
कैंडल लाइट डिनर का स्वांग रचाइये
बस  कुछ दिन तो
खुद से मिलने के लिए महफ़िल सजाइये

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