फुलकारी
Thursday, April 2, 2020
लेकर मैं चलती हूँ शामें कितनी,
बिन सीमा की रेखा वाली
जोड़ती रहती हूँ अक्षर अक्षर
कहानियाँ कितनी उमंगों वाली
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