ओस के मोती
शरद पूर्णिमा की उस रात ने
जो ओस के मोतियों का हार
पतझड़ के पीले पातों को उपहार दिया था,
पश्चिमी हवा के उस सर्द झोंके ने तोड़ दिया है|
कुछ मोती बूटों के बीच अटक गए हैं
तुम वहाँ जाओ तो सहेज आना उन्हें |
नहीं तो कल धूप की चूनर में छुपने की कोशिश करेंगी
और नटखट सूरज,
उनको चांदी का वर्क लगी इलायची समझ खा जाएगा |
1 comment:
khoobsurat :)
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