
किरणों की लेखनी चला,
लिख देता है, रोज़ दिन नया दिवाकर,
सागर की चंचल लहरों पर
सुनहरी रोशनाई से अलंकृत कर,
लहरों के अल्हङ शैशव को,
तरुणाई की सीमा-पार ले जाता है
दिखलाता है दिन नया,
सुनहरे अम्बर का दर्पण,
और जाते हुए, दे जाता है,
ऊर्जा किनारों पर चोट करने की...
ऊर्जा अपने अस्तित्व को पाने की...