Friday, August 10, 2007

किरणों की लेखनी से


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

किरणों की लेखनी चला,

लिख देता है, रोज़ दिन नया दिवाकर,

सागर की चंचल लहरों पर

सुनहरी रोशनाई से अलंकृत कर,

लहरों के अल्हङ शैशव को,

तरुणाई की सीमा-पार ले जाता है

दिखलाता है दिन नया,

सुनहरे अम्बर का दर्पण,

और जाते हुए, दे जाता है,

ऊर्जा किनारों पर चोट करने की...

ऊर्जा अपने अस्तित्व को पाने की...